नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड :
आयरन एक रासायनिक तत्व है जो पृथ्वी पर भार के हिसाब से उच्च स्तर पर पाया जाता है । आयरन सभी जीवित प्राणियों में पाया जाता है । हीमोग्लोबिन की वजह से रक्त का रंग लाल होता है । हीमोग्लोबिन एक आयरन प्रोटीन है जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन के संचार के लिए जिम्मेदार है । आयरन की कमी से होने वाली बीमारी एनीमिया को रोकने के लिए आयरन उपयोगी है ।
फोलिक एसिड जल में घुलने वाला विटामिन बी है । खाद्य पूरक उद्योगों में फोलिक एसिड को फोलेट कहा जाता है । खाद्य पूरक उद्योगों में फोलेट का आशय किसी भी " प्राकृतिक रूप से उपलब्ध फोलिक एसिड " से है जिसे विटामिन बी9 भी कहा जाता है ।
आयरन एवं फोलिक एसिड प्राकृतिक रूप से हरी सब्जियों ( जैसे पालक, ब्रोकोली एवं सलाद के पत्ते में ), फल ( जैसे केला, तरबूज एवं नींबू में ), बीन्स, यीस्ट, मशरूम, संतरे का जूस, टमाटर का जूस एवं मांस उत्पादों में पाया जाता है ।
लेकिन अपने अनियमित खान - पान की आदतों व दोषपूर्ण जीवनशैली के कारण, हमें अपने भोजन से आयरन एवं फोलिक एसिड पर्याप्त प्राप्त होता है जिससे कम उम्र में ही कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं ।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( भारत सरकार ) एवं यूनिसेफ की वेबसाइट पर दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में से है जहां अधिकांश जनसंख्या रक्ताल्पता से ग्रस्त है । लगभग 58% गर्भवती महिलाएं, 50% अविवाहित महिलाएं, 56% युवा कन्याएं, 30% युवा लड़के एवं दो वर्ष से कम उम्र के लगभग 80% बच्चे आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी से ग्रस्त हैं ।
आयरन एवं फोलिक एसिड वैसे एनीमिया से पीडि़त लोगों के लिए आवश्यक है जिन्हें स्वस्थ्य जीवन के लिए हीमोग्लोबिन के बढ़े स्तर की जरूरत है । आयरन जहां हीमोग्लोबिन संश्लेषण को नियमित करता है वहीं फोलिक एसिड रक्त संश्लेषण में सहायता करता है एवं स्थायी व तीक्ष्ण रक्त हानि में कमी लाता है । स्तनपान कराने वाली एवं गर्भस्थ स्त्रियों के लिए भी श्रेष्ठ है क्योंकि यह स्त्री और उनके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रधानता देता है ।
आयरन का उपयोग इसकी व्यावहारिक कमियों को दूर करने में भी किया जाता है जब सुजन जैसी कुछ अवस्थाओं में इसकी आवश्यकता शरीर द्वारा पूर्ति से अधिक होती है । मुख्य रूप से यह देखा जाता है कि रक्ताल्पता के अन्य कारणों जैसे विटामिन बी12/फोलेट की कमी, औषधि - प्रेरित अथवा सीसा जैसे विष इत्यादि की जांच कर ली गई है क्योंकि कई बार रक्ताल्पता के कई आंतरिक कारण होते हैं ।
फोलेट एवं फोलिक एसिड की उत्पत्ति लैटिन शब्द फोलियम से हुई है जिसका अर्थ है "पत्ता " । फोलेट प्राकृतिक रूप से कई खाद्य पदार्थ में एवं विशेष रूप से गहरे हरे पत्तेदार सब्जियों में प्रचुरता में पाया जाता है ।
विटामिन बी9 ( फोलिक एसिड परिवर्तित होने पर फोलेट ) कई शारिरिक कार्यों के लिए आवश्यक है । मानव शरीर द्वारा फोलेट का संश्लेषण नहीं किया जा सकता है । अतः फोलेट की आपूर्ति आहार से की जाती है जिससे कि दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके । मानव शरीर को फोलेट की आवश्यकता डी.एन.ए. के संश्लेषण में डी.एन.ए के मरम्मत एवं मीडिया मीथाइलेट डी.एन.ए. मे होने के अतिरिक्त कुछ खास जैविक प्रक्रियाओं में सहायक - कारक के रूप में होती है । इसकी खास आवश्यकता शैशव काल एवं प्रसवावस्था जैसी अवस्था में त्वरित कोशिक विभाजन एवं विकास में होती है । बालक एवं वयस्क दोनों को ही फोलेट की आवश्यकता है जिससे कि स्वस्थ्य लाल रक्त कण का निर्माण हो सके एवं एनीमिया रोका जा सके ।
फोलेट की कमी के सामान्य लक्षणों में दस्त, मैक्रोलाइटिक एनीमिया के साथ कमजोरी एवं श्वांस लेने में कमी, तंत्रिका क्षति के साथ कमजोरी एवं अवयव संवेदनशून्यता ( पेरिफेरल नयूरोपैथी ), गर्भावस्था जटिलता, मानसिक क्रमभंम, विस्मृति अथवा अन्य बोधन तंत्र अभाव, मानसिक तनाव, संक्रमित अथवा सूजी जीभ, पेप्टिक अल्सर अथवा माउथ अल्सर, सिर दर्द, धड़कन में तेजी, चिड़चिड़ापन एवं व्यवहारिवादी विकार शामिल हैं ।
नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड कैप्सूल उन सभी सामग्रियों से भरपूर है जो आपको स्वास्थ्य शरीर देते हैं एवं आपको चुस्त रखते हैं । फोलेट ( विटामिन बी9 ) एक आवश्यक पोषक तत्व है जो हरी पत्तेदार सब्जियों, ब्रोक्कोली, मटर, संतरा, अनाज, दाल एवं मांस में पाया जाता है । डी.एन.ए. संश्लेषण व तत्पश्चात कोशिका विभाजन में की महत्वपूर्ण भूमिका है । फोलेट की उल्लेखनीय कमी से मैक्रोलाइटिक एनीमिया हो सकती है ।
आयरन एवं फोलिक एसिड जो कि एक प्रकार का फोलेट पूरक है, बेहतर ढंग से अवशोषित किए जाने के कारण अत्यंत प्रभावी है । यदि आप प्रसूतिकाल में नहीं हैं तो यह सलाह दी जाती है कि फोलेट के लिए केवल खाद्य पदार्थों पर आश्रित न रहें ।
फोलिक एसिड रक्त में फोलिक एसिड के कम स्तर ( फोलिक एसिड न्यूनता ) एवं इसकी जटिलताओं को रोकने एवं इसका उपचार करने में उपयोगी होने के साथ ही " टायर्ड ब्लड " ( एनीमिया ) एवं आंतों का उचित अवशोषण करने में भी सहयोग देता है । फोलिक एसिड न्यूनता से संबंधित अन्य परिस्थितियों में भी फोलिक एसिड का प्रयोग किया जाता है जिसमें अल्सरेटिव कोलाइटिस, जिगर रोग, अतिपानता एवं किडनी डायलिसिस शामिल हैं ।
आयरन एवं फोलिक एसिड समृतिक्षीणति, अल्जाइमर रोग, उम्र - जतिन बहरापन, नेत्र रोग, आयु - जनित मैक्यूलर डीजनरेशन ( ए.एम.डी. ) , उम्र के चिन्हों को कम करने, कमजोर हड्डी, ( अस्थि - सुषिरता ), Jumpy legs ( restless leg sysdrome ) अनिद्रा की समस्या, तंत्रिका पीड़ा, मांसपेशियों में पीड़ा एवं विटामिनों नामक त्वचा विकार में लाभदायी है ।
नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड कैप्सूल के लाभ
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आयरन एक रासायनिक तत्व है जो पृथ्वी पर भार के हिसाब से उच्च स्तर पर पाया जाता है । आयरन सभी जीवित प्राणियों में पाया जाता है । हीमोग्लोबिन की वजह से रक्त का रंग लाल होता है । हीमोग्लोबिन एक आयरन प्रोटीन है जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन के संचार के लिए जिम्मेदार है । आयरन की कमी से होने वाली बीमारी एनीमिया को रोकने के लिए आयरन उपयोगी है ।
फोलिक एसिड जल में घुलने वाला विटामिन बी है । खाद्य पूरक उद्योगों में फोलिक एसिड को फोलेट कहा जाता है । खाद्य पूरक उद्योगों में फोलेट का आशय किसी भी " प्राकृतिक रूप से उपलब्ध फोलिक एसिड " से है जिसे विटामिन बी9 भी कहा जाता है ।
आयरन एवं फोलिक एसिड प्राकृतिक रूप से हरी सब्जियों ( जैसे पालक, ब्रोकोली एवं सलाद के पत्ते में ), फल ( जैसे केला, तरबूज एवं नींबू में ), बीन्स, यीस्ट, मशरूम, संतरे का जूस, टमाटर का जूस एवं मांस उत्पादों में पाया जाता है ।
लेकिन अपने अनियमित खान - पान की आदतों व दोषपूर्ण जीवनशैली के कारण, हमें अपने भोजन से आयरन एवं फोलिक एसिड पर्याप्त प्राप्त होता है जिससे कम उम्र में ही कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं ।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( भारत सरकार ) एवं यूनिसेफ की वेबसाइट पर दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में से है जहां अधिकांश जनसंख्या रक्ताल्पता से ग्रस्त है । लगभग 58% गर्भवती महिलाएं, 50% अविवाहित महिलाएं, 56% युवा कन्याएं, 30% युवा लड़के एवं दो वर्ष से कम उम्र के लगभग 80% बच्चे आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी से ग्रस्त हैं ।
आयरन एवं फोलिक एसिड वैसे एनीमिया से पीडि़त लोगों के लिए आवश्यक है जिन्हें स्वस्थ्य जीवन के लिए हीमोग्लोबिन के बढ़े स्तर की जरूरत है । आयरन जहां हीमोग्लोबिन संश्लेषण को नियमित करता है वहीं फोलिक एसिड रक्त संश्लेषण में सहायता करता है एवं स्थायी व तीक्ष्ण रक्त हानि में कमी लाता है । स्तनपान कराने वाली एवं गर्भस्थ स्त्रियों के लिए भी श्रेष्ठ है क्योंकि यह स्त्री और उनके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रधानता देता है ।
आयरन का उपयोग इसकी व्यावहारिक कमियों को दूर करने में भी किया जाता है जब सुजन जैसी कुछ अवस्थाओं में इसकी आवश्यकता शरीर द्वारा पूर्ति से अधिक होती है । मुख्य रूप से यह देखा जाता है कि रक्ताल्पता के अन्य कारणों जैसे विटामिन बी12/फोलेट की कमी, औषधि - प्रेरित अथवा सीसा जैसे विष इत्यादि की जांच कर ली गई है क्योंकि कई बार रक्ताल्पता के कई आंतरिक कारण होते हैं ।
फोलेट एवं फोलिक एसिड की उत्पत्ति लैटिन शब्द फोलियम से हुई है जिसका अर्थ है "पत्ता " । फोलेट प्राकृतिक रूप से कई खाद्य पदार्थ में एवं विशेष रूप से गहरे हरे पत्तेदार सब्जियों में प्रचुरता में पाया जाता है ।
विटामिन बी9 ( फोलिक एसिड परिवर्तित होने पर फोलेट ) कई शारिरिक कार्यों के लिए आवश्यक है । मानव शरीर द्वारा फोलेट का संश्लेषण नहीं किया जा सकता है । अतः फोलेट की आपूर्ति आहार से की जाती है जिससे कि दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके । मानव शरीर को फोलेट की आवश्यकता डी.एन.ए. के संश्लेषण में डी.एन.ए के मरम्मत एवं मीडिया मीथाइलेट डी.एन.ए. मे होने के अतिरिक्त कुछ खास जैविक प्रक्रियाओं में सहायक - कारक के रूप में होती है । इसकी खास आवश्यकता शैशव काल एवं प्रसवावस्था जैसी अवस्था में त्वरित कोशिक विभाजन एवं विकास में होती है । बालक एवं वयस्क दोनों को ही फोलेट की आवश्यकता है जिससे कि स्वस्थ्य लाल रक्त कण का निर्माण हो सके एवं एनीमिया रोका जा सके ।
फोलेट की कमी के सामान्य लक्षणों में दस्त, मैक्रोलाइटिक एनीमिया के साथ कमजोरी एवं श्वांस लेने में कमी, तंत्रिका क्षति के साथ कमजोरी एवं अवयव संवेदनशून्यता ( पेरिफेरल नयूरोपैथी ), गर्भावस्था जटिलता, मानसिक क्रमभंम, विस्मृति अथवा अन्य बोधन तंत्र अभाव, मानसिक तनाव, संक्रमित अथवा सूजी जीभ, पेप्टिक अल्सर अथवा माउथ अल्सर, सिर दर्द, धड़कन में तेजी, चिड़चिड़ापन एवं व्यवहारिवादी विकार शामिल हैं ।
नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड कैप्सूल उन सभी सामग्रियों से भरपूर है जो आपको स्वास्थ्य शरीर देते हैं एवं आपको चुस्त रखते हैं । फोलेट ( विटामिन बी9 ) एक आवश्यक पोषक तत्व है जो हरी पत्तेदार सब्जियों, ब्रोक्कोली, मटर, संतरा, अनाज, दाल एवं मांस में पाया जाता है । डी.एन.ए. संश्लेषण व तत्पश्चात कोशिका विभाजन में की महत्वपूर्ण भूमिका है । फोलेट की उल्लेखनीय कमी से मैक्रोलाइटिक एनीमिया हो सकती है ।
आयरन एवं फोलिक एसिड जो कि एक प्रकार का फोलेट पूरक है, बेहतर ढंग से अवशोषित किए जाने के कारण अत्यंत प्रभावी है । यदि आप प्रसूतिकाल में नहीं हैं तो यह सलाह दी जाती है कि फोलेट के लिए केवल खाद्य पदार्थों पर आश्रित न रहें ।
फोलिक एसिड रक्त में फोलिक एसिड के कम स्तर ( फोलिक एसिड न्यूनता ) एवं इसकी जटिलताओं को रोकने एवं इसका उपचार करने में उपयोगी होने के साथ ही " टायर्ड ब्लड " ( एनीमिया ) एवं आंतों का उचित अवशोषण करने में भी सहयोग देता है । फोलिक एसिड न्यूनता से संबंधित अन्य परिस्थितियों में भी फोलिक एसिड का प्रयोग किया जाता है जिसमें अल्सरेटिव कोलाइटिस, जिगर रोग, अतिपानता एवं किडनी डायलिसिस शामिल हैं ।
आयरन एवं फोलिक एसिड समृतिक्षीणति, अल्जाइमर रोग, उम्र - जतिन बहरापन, नेत्र रोग, आयु - जनित मैक्यूलर डीजनरेशन ( ए.एम.डी. ) , उम्र के चिन्हों को कम करने, कमजोर हड्डी, ( अस्थि - सुषिरता ), Jumpy legs ( restless leg sysdrome ) अनिद्रा की समस्या, तंत्रिका पीड़ा, मांसपेशियों में पीड़ा एवं विटामिनों नामक त्वचा विकार में लाभदायी है ।
नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड कैप्सूल के लाभ
- फोलिक एसिड कमी के इलाज व रोकथाम में सहयोगी ।
- उन व्यक्तियों में हिमोसिस्टीन स्तर को कम करता है जिनका गुर्दा खराब हो गया है । ऐसे 80% लोगों में हिमोसिस्टीन का स्तर अधिक होता है जिनका गुर्दा खराब हो गया है हिमोसिस्टीन के उच्च स्तर को ह्रदय रोग एवं दौरा से जोड़ कर देखा जाता है । गुर्दा रोग के व्यक्तियों को फोलिक एसिड के सेवन से हिमोसिस्टीन का स्तर कम करने में मदद मिलती है ।
- स्तर कैंसर एवं अग्नाशय के कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है । यह लाभ और अधिक हो जाता है जब महिलाएं फोलिक एसिड के अतिरिक्त अपने आहार में विटामिन बी12 एवं विटामिन बी6 लेती हैं ।
- प्रसवावस्था के दौरान मसूड़ों के रोग के जोखिम को कम करता है ।
- मैक्यूलर डिजनरेशन को रोकता है । यह पाया गया है कि विटामिन बी6 एवं विटामिन बी12 सहित अन्य विटामिन के साथ फोलिक एसिड लिए जाने पर उम्र - जनित मैक्यूलर डिजनरेशन नामक नेत्र की रोकथाम में मदद मिल सकती है ।
- कोरोनरी धमनी के रोगियों में ह्रदय आघात, दौरा एवं अन्य संगत परिस्थितियों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है ।
- दिल के दौरे के खतरे को कम करने में मदद करता है और अन्य क्रोनिकनरी ह्रदय रोग की रोकथाम की संभावना को कम करता है ।
- दुबारा दौरा की संभावना को कम करता है ।
- क्रोनिक फेटिग सिन्डम में उपयोगी है ।
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