Monday, July 8, 2019

नरीश स्पिरुलिना

नरीश  स्पिरुलिना  :

  स्पिरुलिना  सामान्य नीला-- हरा शैवाल ( सैनोबैकटीरिया ) है । ये पूरे विश्व में उगाया जाता है, परिपूरक खुराक और पूर्ण खुराक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। माइक्रोस्कोप के नीचे स्पिरुलिना लंबे, पतले, नीले न --हरे घुमावदार रस्सियों जैसे दिखते हैं । 

स्पिरुलिना  कई तरह के साफ पानी युक्त वातावरण में मिलते हैं जिसमें तालाब, झील, और नदियां शामिल हैं । यह कीटनाशक रहित अवस्था में सबसे अच्छी तरह रह सकती है जहां बहुत धूप हो और मध्यम तापमान हो । स्पिरुलिना को अक्सर सबसे अधिक पोषण युक्त पूरक खुराक माना जाता है जिसमें बहुत से महत्वपूर्ण पोषक तत्व रहते हैं जैसे प्रोटीन, जटिल, कार्बोहाईडरेट, आयरन, और विटामिन ए, के और बी काम्प्लेक्स । इसमें कैरेटिनोइड जैसे बीटा कैरोटीन और पीले जंथोफिल भी भारी मात्रा में पाये जाते हैं जिनमें एंटी ओक्सिडेंटस है के गुण हैं । इसमें क्लोरोफिल, नुकलेइक एसिड, और लिपिडस भी अच्छी मात्रा में मिलता है । इसलिए, अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए और बिमारियों से बचने के लिए पूरक खाद्य के रूप में स्पिरुलिना  कई उपयोग है ।

स्पिरुलिना एक आदर्श उम्र -- रोधक खाद्य है, गाढ़ा पोषक मान, आसानी से पचने वाला, और एंटी ऑक्सीडेंटस से भरपूर । बीटा केरोटीन स्वास्थ्य आंखों और नजर के लिए अच्छा है । स्पिरुलिना का बीटा कैरोटीन गाजर से दस गुना ज्यादा गाढ़ा हैं ।

1  ग्राम स्पिरुलिना का पोषण मान 


उपादान                      मान
गाजर                          25 ग्राम   
मछली                         30 ग्राम        
सेब                             27.5  ग्राम
हरा मटर                      1/4
केला                           1/2    
टमाटर                         150 ग्राम
स्ट्राबेरी                         1/2
चिकन                           300 ग्राम
पत्ता गोभी                      2  कि. ग्रा.    
ब्रेड                                1/2  
दूध                                 300 मिली
अंडा                               1
चावल                             150 ग्राम
आलू                               20 ग्राम
अंगूर                               10 ग्राम
निम्बू                               1 
कैप्सिकम                        1/2 पीस
कद्दू                                 3 ग्राम

आयरन एक मजबूत शरीर के लिए आवश्यक है, पर फिर भी ये सबसे आम खनिज की कमी है । स्पिरुलिना में बहुत आयरन, मैग्निशियम, और ट्रेस खनिज हैं, और ये आयरन सप्लिमेंट्स से पचाने में ज्यादा आसान है । स्पिरुलिना में सबसे अधिक विटामिन बी 12 पाया जाता है, जो स्वास्थ्य नसों और तन्तुयों के लिए आवश्यक है, खासकर शाकाहारियों के लिए।  

स्पिरुलिना का लगभग 60 प्रोटीन है, जो कि कोशिकाओं के पुनर्जनन और वृद्धि के लिए आवश्यक है। यह चर्बी और कोलेस्ट्रॉल युक्त मांस और दुग्ध उत्पादों के खुराक का अच्छा प्रतिस्थापन है । स्पिरुलिना का हर 10 ग्राम आयरन के दैनिक आवश्यकता का 70 तक प्रदान कर सकता है, और लगभग विटामिन ए ( बीटा कैरोटीन के रूप में ), बी काम्प्लेक्स, डी और के दैनिक आवश्यकता का तीन से चार गुना ज्यादा प्रदान कर सकता है।

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नरीश कैल्शियम

नरीश कैल्शियम :

ओस्टियोपोरोसिस एक जीवन शैली सम्बन्धी बीमारी है जिसमें हड्डियों की घटी हुई शक्ति हड्डियां टूटने की सम्भावना बढ़ा देती हैं ।  जब तक कोई हड्डी टूट नहीं जाती तब तक कोई लक्षण नहीं दिखते । हड्डियां इस कदर कमजोर हो जाती हैं कि थोड़ी सी चोट लगने से ही टूट सकती हैं । कोई हड्डी टूटने के बाद निरंतर दर्द और रोज के काम को करने की क्षमता में गिरावट हो सकती है ।

ओस्टियोपोरोसिस हड्डियों के स्वाभाविक वजन से कम या हड्डियों के स्वाभाविक क्षय से ज्यादा होने के कारण हो सकती है । रजोनिवृति के बाद एस्ट्रोजेन की मात्रा में गिरावट के कारण हड्डियों में क्षय हो सकती है । ओस्टियोपोरोसिस कई बिमारियों की वजह से भी हो सकती है । जरूरत के अनुसार परिश्रम न करना और धूम्रपान भी कारण हो सकती हैं । ओसटओस्टियोपोरो की परिभाषा है किसी वयस्क युवा से २.५ गुना कम हड्डियों का घनत्व होना ।

ओस्टियोपोरोसिस से बचाव में अच्छी खुराक और जिन दवाइयों से ये हो सकता है उनसे परहेज करना शामिल है । ओसटओस्टियोपोसिस के रोगी की हड्डियां टूटने से बचने की कोशिश में अच्छी खुराक और परिश्रम शामिल हैं । जीवन शैली में बदलाव जैसे धूम्रपान और मधदपान बंद करने से मदद हो सकती है ।



नरिश कैल्शियम और विटामिन डी 3

आपके शरीर को मजबूत हड्डियां बनाने और बरकरार रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है । आपके दिल, मांसपेशियों और स्नायु को भी ठीक से काम करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है ।


कुछ अध्ययन संकेत देते हैं कि विटामिन डी के साथ कैल्शियम हड्डियों के स्वास्थ्य के अलावा भी मदद कर
सकता है :

शायद कैंसर, डायबिटीज, और उच्च रक्तचाप के विरुद्ध भी सहायक हो सकता है । 

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नरीश एंटी-ऑकसीडेंट कोएन्जैम Q10 (पुरूष ) :

नरीश एंटी-ऑकसीडेंट कोएन्जैम Q10  (पुरूष )
                                         

ऑक्सीजन जीवन के लिए आवश्यक है,  लेकिन दूसरी ओर,  यह निश्चित रूप से शरीर के कोशिकाओं में प्रतिक्रियाशील अणुओं का संचार करता है । ये मुक्त कण किसी भी कोष के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं क्योंकि ये आवश्यक कणों जैसे डी एन ए और कोष को ठीक से काम करने के लिए आवश्यक एंजाइम को हानी पहुंचा सकता है । एंटी-ऑकसीडेंट इन प्रतिक्रियाशील मुक्त कणों को पकड़कर इन्हें सुरक्षापूर्वक साधारण अवस्था में बदल देते है । हालांकि शरीर एंटी-ऑकसीडेंट अणु बनाता है,  ये आहार से मिलने वाले एंटी-ऑकसीडेंट के साथ मिलकर काम करते हैं, मुख्य तौर पर फल और सब्जियों से और पूरक आहार से भी ।

एंटी-ऑकसीडेंट को बहूत से दलों में बांटा जा सकता है । विटामिन सी, विटामिन ई और सेलेनियम जैसे उत्कृष्ट एंटी-ऑकसीडेंट के अलावा एक दूसरे दल में कैरोटीनोइडस शामिल हैं, जैसे बीटाकैरोटीन,  लाईसोपीन, ल्यूटीन और एस्टाकजन्थिन । एक दूसरे गुट में फ्लेवोनोइड आते हें, जो ज्यादातर फलों में पाए जाते हैं । ये सारे एंटी-ऑकसीडेंट अणु हैं जिन्हें पेड़ सौर विकिरण,  ताप, हानिकारक रसायन,  फफूंदी आदि जैसे परिवेष संबंधी कारकों से अपनी रक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं । लेकिन यह एंटी-ऑकसीडेंट जीव -- जंतुओं की भी रक्षा करता है ।

एंटी-ऑकसीडेंट किसी भी ऑक्सीजन युक्त वातावरण में हमेशा बनाने वाले ऑक्सीजन के कणों के हानिकारक प्रभावों से पृथ्वी के सभी प्राणियों पेड़ - पौधे,  जीव - जंतु और मनुष्य - की रक्षा करता है । इसलिए एन्टी से भरपूर फल और सब्जियों मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आवश्यक हैं ।


 कोएंजाइम Q10 ( CO Q10 )  एक एंटी-ऑकसीडेंट है जो मानव शरीर में बनाता है । मौलिक कोष के काम के लिए  Q10  चाहिए । उम्र के साथ लोगों में को  Q10  का स्तर घटने लगता है और कैंसर,  कुछ जेनेटिक बीमारियों,  एच आई वी एड्स, मांसपेशियों के दुर्विकास ,और पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों में इसका कम हो सकता है ।
ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनसे पता लगता है कि को  Q10  का प्रयोग उच्च रक्त चाप और दिल के दौरे में किया जा सकता
है ।
                               



जिनसेंग

जिनसेंग ग्यारह प्रजातियों के छोटे,  धीरे बढ़ने वाले, मांसल जड़ युक्त सदाबहार पौधे हैं । माना जाता है कि जिनसेंग साधारण तंदुरूस्ती को पुर्नस्थापित और बढ़ाता है और आज विश्व में सबसे लोकप्रिय जड़ी - बूटियों में से एक बन गया
है ।
                                       
इन बूटियों में हल्के रंग की,  कांटे जैसे आकार की जड़ें,  अपेक्षात लम्बे डंठ और अंडाति हरी पत्तियां होती हैं ।

परंपरागत रूप से जिनसेंग का सेवन कई तरह की बीमारियों में सहायता के लिए किया जाता रहा है ।

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