Saturday, June 15, 2019

नरीश एंटी-ऑकसीडेंट कोएन्जैम Q10 ( महिलाएं )

नरीश एंटी-ऑकसीडेंट कोएन्जैम Q10 ( महिलाएं ) :
                                           
ऑक्सीजन जीवन के लिए आवश्यक है,  लेकिन दूसरी ओर,  यह निश्चित रूप से शरीर के कोशिकाओं में प्रतिक्रियाशील अणुओं का संचार करता है । ये मुक्त कण किसी भी कोष के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं क्योंकि ये आवश्यक कणों जैसे डी एन ए और कोष को ठीक से काम करने के लिए आवश्यक एंजाइम को हानी पहुंचा सकता है । एंटी-ऑकसीडेंट इन प्रतिक्रियाशील मुक्त कणों को पकड़कर इन्हें सुरक्षापूर्वक साधारण अवस्था में बदल देते है । हालांकि शरीर एंटी-ऑकसीडेंट अणु बनाता है,  ये आहार से मिलने वाले एंटी-ऑकसीडेंट के साथ मिलकर काम करते हैं, मुख्य तौर पर फल और सब्जियों से और पूरक आहार से भी ।

एंटी-ऑकसीडेंट को बहूत से दलों में बांटा जा सकता है । विटामिन सी, विटामिन ई और सेलेनियम जैसे उत्कृष्ट एंटी-ऑकसीडेंट के अलावा एक दूसरे दल में कैरोटीनोइडस शामिल हैं, जैसे बीटाकैरोटीन,  लाईसोपीन, ल्यूटीन और एस्टाकजन्थिन । एक दूसरे गुट में फ्लेवोनोइड आते हें, जो ज्यादातर फलों में पाए जाते हैं । ये सारे एंटी-ऑकसीडेंट अणु हैं जिन्हें पेड़ सौर विकिरण,  ताप, हानिकारक रसायन,  फफूंदी आदि जैसे परिवेष संबंधी कारकों से अपनी रक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं । लेकिन यह एंटी-ऑकसीडेंट जीव -- जंतुओं की भी रक्षा करता है ।

एंटी-ऑकसीडेंट किसी भी ऑक्सीजन युक्त वातावरण में हमेशा बनाने वाले ऑक्सीजन के कणों के हानिकारक प्रभावों से पृथ्वी के सभी प्राणियों पेड़ - पौधे,  जीव - जंतु और मनुष्य - की रक्षा करता है । इसलिए एन्टी से भरपूर फल और सब्जियों मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आवश्यक हैं ।


 कोएंजाइम Q10 ( CO Q10 )  एक एंटी-ऑकसीडेंट है जो मानव शरीर में बनाता है । मौलिक कोष के काम के लिए  Q10  चाहिए । उम्र के साथ लोगों में को  Q10  का स्तर घटने लगता है और कैंसर,  कुछ जेनेटिक बीमारियों,  एच आई वी एड्स, मांसपेशियों के दुर्विकास ,और पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों में इसका कम हो सकता है ।
ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनसे पता लगता है कि को  Q10  का प्रयोग उच्च रक्त चाप और दिल के दौरे में किया जा सकता है ।
                         





फोलिक एसिड

फोलिक एसिड विटामिन बी है जिसकी आपके शरीर के हर कोष को साधारण वृद्धि और विकास के लिए जरूरत पड़ती है । ये आपके शरीर को लाल रक्त कणिकाएं बनाने में मदद करता है जो आपके फेफड़ों से शरीर के अन्य भागों तक ऑक्सीजन प्रवाहित करती हैं ।

अगर प्रेग्नेंसी से पहले और बाद में आप फोलिक एसिड का सेवन करते हैं, तो ये जन्म के समय होने वाले दिमाग और रीढ़ से संबंधित बीमारियों को रोक सकता है जिन्हें नयूरल ट्यूब डिफेक्ट  ( या एन टी डी ) कहा जाता है ।
                                 
कुछ फल और सब्जियों में फोलिक एसिड अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं । जब फोलिक एसिड किसी खाद्य में प्रातिक रूप से पाया जाता है तो उसे फोलेट कहते हैं । फोलेट निम्न खाद्यों में अच्छी मात्रा में मिलते हैं वो हैं --

  • बीन्स जैसे दाल, बाकला और काला सीम 
  • हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और रोमेन लेटुस
  • ऐस्पैरागस 
  • ब्रोक्कोली 
  • मूंगफली  ( लेकिन अगर मूंगफली से एलर्जी हो तो ना खाएं )
  • मिलते हैं वो हैं संतरे या अंगूर जैसे फल 
  • संतरे का जूस  ( कंसन्ट्रेट से हो तो सबसे अच्छा )
जितना फोलिक एसिड आपको चाहिए उतना सिर्फ खुराक से मिलना  मुश्किल है ।
इसलिए अगर आप फोलिक एसिड युक्त खुराक लेते भी हैं,  तो भी अपना पूरक खाद्य हर रोज सेवन करें ।

https://www.amazon.in/dp/B07L4NM1YY/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_Lie0EbW0YR2HQ


नरीश दर्द निवारक तेल

नरीश दर्द निवारक तेल :
                             
पोषक तत्वों की कमी , अस्वास्थ्यकर जीवनशैली , अभिघात एवं बुढ़ापा के कारण स्थायी रोग एवं जोड़ो के दर्द जैसी कई समस्याएं हो जाती है । चलने के दौरान अथवा विश्रामावस्था के दौरान जोड़ो में दर्द जिसके कारण चलने में समस्या होती हैं,  ज्वाइंट पेन कहलाता है । प्रमुख कारण हें :

  • उपस्थित का दोष 
  • स्नेहन की हानि 
  • कैल्शियम एवं प्रोटीन जैसे अनिवार्य पोषक तत्वों की कमी 
  • औषधियों का अत्यधिक सेवन 
ज्वाइंट पेन,  ऐंठन, तीक्ष्ण गठिया एवं उम्र - जनित विकार वाले मामलोंं में, अनुपूरक एवं औषधि का बाहरी अनुुुुप्रयोग बेहतरीन उपलब्ध विकल्प है । क्योंकि :
    • ये सुरक्षित हैं 
    • प्रभावी हैं 
    • दर्द - निवारक का उपयुक्त विकल्प है ।
    • कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं एवं इसकी आदत नहीं लगती ।
    • समस्या के कारणों पर कार्य करता है, केवल लक्षणों पर नहीं ।
    नरीश पेन किलर ऑयल में वे सभी सामग्री हैं जो आपको जोड़ो के दर्द एवं शरीर के अन्य भागों में निरंतर राहत देती हैं ।

    जोड़ो के दर्द का तेल  ?

    इसमें शामिल है :

    ज्वाइन  --  दर्द वाले स्थान पर लगाए जाने पर बीजों से निकला हुआ तेल रिउमेटिड अर्थराइटिस और नसों के दर्द के इलाज में सहायक है । ये दांत, दिल, और कान के दर्द का भी इलाज करता है । इसमें उपचार की क्षमता और इलाज के गुण भी हैं । ये अस्थमा,  ब्रोंकाइटिस,  पेट की बीमारी,  और सर्दी के इलाज में सहायक है ।


    आरंद मूल -- यह सर्वश्रेष्ठ वट प्रशामक में से एक है जो शरीर का पोषण करता है और साथ ही रिउमेटिड और ओस्टियो अर्थराइटिस और स्त्री -- रोगों का इलाज करता है । यह भूख बढ़ाता है,  लीवर की बीमारियों में आराम देता है,  और पेट की बीमारियों का इलाज करता है । यह सर्दी और खांसी को कम करता है और डायबिटीज में मूत्रवर्धक का काम करता
    है ।

    अश्वगंधा -- अश्वगंधा को उसके सूजन -- रोधक गुणों के लिए जाना जाता है क्योंकि यह दर्द को कम करने में मदद करता है । यह एक ताज़गी देने वाली जड़ी -- बूटी है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता,  सहनशक्ति,  ताकत और जोश बढ़ाने में मदद करता है । यह उत्कंठा,  अवसाद,  मांसपेशियों के दर्द,  घावों के इलाज और कई यौन रोगों में काफी उपयोगी है ।


    अरंडी का तेल -- यह तेल सूजी हुई त्वचा के इलाज में और त्वचा में नमी लाने में बहुत कारगर है । यह जोड़ो के दर्द को कम करता है, हर किस्म के अर्थराइटिस का इलाज करता है ,  प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है,  और घुट्टी का काम करता है । यह तेल आयु -- रोधक है,  दागों को कम करता है,  स्ट्रेच मार्कस को रोकता है,  और त्वचा की रंजकता को कम करता है । यह बालों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी है ।


    देवदारु -- देवदारु सर्वोत्तम पीड़ानाशक है और अर्थराइटिस व दुसरे प्रकार के दर्द में लगाये जाने पर सूजन कम करने के लिए जाना जाता है । यह लीवर के पोषण के लिए और शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बनाए रखने में बहुत उपयोगी है । सुगंधित होने के कारण यह श्वांस -- संबंधी बीमारियों का इलाज करता है । इसका कड़वा स्वाद और उष्ण गुण इसे एक उत्तम रक्त शोधक,  रेचक और क्षुधावर्धक बनाते हें ।


    हल्दी -- हल्दी आम तौर पर मोच,  घाव और खरोंच के इलाज में इस्तेमाल होता है । ये त्वचा की देखभाल और हाज़मे के लिए भी बहुत अच्छा है । इसका पाउडर लगाने पर दर्द और सूजन कम होता है । ये कोलेस्ट्रॉल घटाता है,  लीवर की रक्षा करता है पीड़ानाशक का काम करता है ।


    कुठ -- वट संतुलन के लिए बाहरी प्रयोग और तेल मालिश में व्यवह्रत सारी जड़ी -- बूटियों में कुठ सर्वोत्तम है जो इसे सभी पीड़ानाशक तेलों में एक आवश्यक उपादान बनाता है । यह अर्थराइटिस,  सरदर्द, दांत के दर्द और गंजेपन में आराम देता है । यह बहुत उत्तम वायरस रोधक औषधि भी है और रक्त चाप को कम करता है ।


    नीलगिरी का तेल -- यह तेल दर्द और जोड़ो के सूजन के लिए,  श्वांस नलियों श्लेष्मा झिल्लियों, जननांग परिसर्प , और नेसल स्टिफनेस में त्वचा पर लगाया जाता है । यह घाव,  जलन, अल्सर और कैंसर का भी इलाज करता है । इसे रुट कैनाल फिलिंग में विलायक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है ।


    तिल का तेल -- तिल का तेल हमेशा से एक इलाजकारी तेल के रूप में और धमनियों को खोलने के लिए किया गया है । इसमें सूजन रोधक,  बैक्टीरिया रोधक और वायरस रोधक गुण हैं । ये बहुत सारी दीर्घस्थाई बीमारियों,  जैसे डायबिटीज,  हेपेटाइटिस और माइग्रेन के इलाज में सहायक है । ये त्वचा का पोषण और शरीर के कोशों को सजीव भी करता है ।


    विंटर ग्रीन ऑयल -- ये तेल सूजन और पीड़ादायक अवस्थाओं जैसे अर्थराइटिस,  रिउमेटिड, सरदर्द,  नसों का दर्द,  पीठ के निचले हिस्से में दर्द,  ओवरी का दर्द और मासिक चक्र के दर्द में व्यवहार किया जाता पर स्थित कीटाणुओं को मारने के लिए भी व्यवहार किया जाता है ।
                                           


    नरीश पेन किलर ऑयल के लाभ

    निम्न मामलों में निरंतर राहत :



    • हड्डियों एवं जोड़ो में दर्द एवं  सूजन 
    • अंगभंग 
    • संधिवात गठिया 
    • ऑस्टिओआथ्राइटिस ,
    • अकड़ा हुआ कंधा 
    • सायटिका 
    • गरदान एवं पीठ का दर्द 
    • स्पौंडिलाइटिस 
    • मांसपेशियों का दर्द 
    • मांसपेशी में अकड़न 
    • सिर दर्द 



    नरीश जोड़ों की देखभाल

    नरीश जोड़ों की देखभाल :
                                                         
     
    पोषक तत्वों की कमी , अस्वास्थ्यकर जीवनशैली , अभिघात एवं बुढ़ापा के कारण स्थायी रोग एवं जोड़ो के दर्द जैसी कई समस्याएं हो जाती है । चलने के दौरान अथवा विश्रामावस्था के दौरान जोड़ो में दर्द जिसके कारण चलने में समस्या होती हैं,  ज्वाइंट पेन कहलाता है । प्रमुख कारण हें :

    • उपस्थित का दोष 
    • स्नेहन की हानि 
    • कैल्शियम एवं प्रोटीन जैसे अनिवार्य पोषक तत्वों की कमी 
    • औषधियों का अत्यधिक सेवन 
    ज्वाइंट पेन,  ऐंठन, तीक्ष्ण गठिया एवं उम्र - जनित विकार वाले मामलोंं में, अनुपूरक एवं औषधि का बाहरी अनुुुुप्रयोग बेहतरीन उपलब्ध विकल्प है । क्योंकि :         
    • ये सुरक्षित हैं           
    • प्रभावी हैं 
    • दर्द - निवारक का उपयुक्त विकल्प है ।
    • कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं एवं इसकी आदत नहीं लगती ।
    • समस्या के कारणों पर कार्य करता है, केवल लक्षणों पर नहीं ।
    नरीश ज्वाइंट केयर कैप्सूल में हैं वह सारे आवश्यक तत्व जो आपके जोड़ो के दर्द को लंबी राहत देते हैं और कार्टिलेज के विकास में सहायता करतें हैं ।


    नरीश ज्वाइंट पेन किलर कैप्सूल क्यों ?

    ग्लुकोसेमाईन : ग्लुकोसेमाईन शरीर में पाया जाने वाला एक प्रातिक रासायनिक यौगिक पदार्थ है । एक अनुपूरक के तौर पर,  ग्लुकोसेमाईन का सबसे अधिक प्रयोग अर्थराइटिस और ओस्टियो अर्थराइटिस से होने वाले जोड़ो के दर्द में आराम देने के लिए किया जाता है, ग्लुकोसेमाईन जोड़ो में कार्टिलेज को स्वस्थ रखने में सहायता करता है । लेकिन उम्र के साथ प्रातिक ग्लुकोसेमाईन की मात्राएँ घटने लगती हैं इससे धीरे-धीरे जोड़ो की हालात बिगड़ सकती है कुछ प्रमाण मिले हैं कि ग्लुकोसेमाईन अनुपूरक इसका मुकाबला करने में मदद करते हैं,  पाया गया है कि ग्लुकोसेमाईन हल्के और औसत ओस्टियो अर्थराइटिस के दर्द को कम करता है ।

    एम  एस एम :  दीर्घकालीन दर्द,  ओस्टियो अर्थराइटिस,  जोड़ो में दर्द,  रिउमेटिड अर्थराइटिस,  ऑस्टियोपोरोसिस,  बरसाईटिस,  स्पोडेलैटिस,  मांसपेशियों और हड्डियों के दर्द और मसल क्रेम्प्स में आराम देता है ।


    नरीश ज्वाइंट पेन किलर कैप्सूल के फायदे  :

    • उपस्थित के विकार को धीमा करने में मदद करता है अथवा घुटनों के क्षतिग्रस्त उपस्थित की मरम्मत करता है एवं इस प्रकार दर्द एवं सूजन को कम करता है ।
    • COX - II  के विपरीत इंटरल्यूकिन - 1 को अवरूद्ध करने में मदद करता है एवं इस प्रकार एन.एस.आई.डी. की तरह कोई दुष्प्रभाव नहीं है ।
    • यह ऐंठन में राहत प्रदान करता है ।


    घुटने या जोड़ो के दीर्घकालीन पीड़ादायी अवस्थाओं में मददगार जैसे :

    अर्थराइटिस  ( जोड़े + सूजन ) एक तरह का जोड़ो का विकार है जिसमें एक या अधिक जोड़ो में सूजन होता है । अर्थराइटिस कई किस्म के होते हैं । सबसे आम किस्म ओस्टियो अर्थराइटिस  ( डिजेनरेटिव ज्वाइंट डिजीज ), जिसका कारण है जोड़ो की चोट,  जोड़ो में संक्रमण,  या उम्र । दूसरे किस्म के अर्थराइटिस हैं रिउमेटिड  ( RA ) और गाउट अर्थराइटिस ।



    ओस्टियो अर्थराइटिस  ( OA )

    ओस्टियो अर्थराइटिस सबसे आम किस्म का अर्थराइटिस है । ये शरीर के बड़े और छोटे दोनों तरह के जोड़ो पर असर कर सकता है,  जिसमें हाथ,  कलाइयां , पैर, पीठ,  नितम्ब और घुटने भी शामिल हैं । यह बीमारी मूलतः जोड़ो के दैनिक क्षय से पैदा होती है पर ओस्टियो अर्थराइटिस किसी चोट के कारण भी हो सकता है । ओस्टियो अर्थराइटिस की शुरुआत कार्टिलेज से होती है और अंततः यह दो विपरीत हड्डियों को एक दूसरे में घिस देता है । यह अवस्था शारीरिक कार्यो के समय हल्के दर्द से शुरू होती है,  लेकिन जल्द ही दर्द लगातार होने लगती है और स्थिर रहने पर भी होने लगती है । ओस्टियो अर्थराइटिस साधारणः वज़न ढोने वाले जोड़ो जैसे पीठ, घुटनों, और नितम्ब पर अधिक असर करती है । 65 की उम्र तक की महिलाओं में 30% से ज्यादा को ओस्टियो अर्थराइटिस होने के कारणों में पूर्व में लगे जोड़ो की चोट,  मोटापा,  और निष्क्रिय जीवनशैली भी शामिल हैं ।



    रिउमेटिड अर्थराइटिस  ( RA )

    रिउमेटिड अर्थराइटिस  ( RA ) एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की अपनी ही प्रतिरोध व्यवस्था शरीर के कोशों पर आक्रमण करने लगती है । यह आक्रमण केवल जोड़ो पर ही नहीं,  बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों पर भी होते हैं । रिउमेटिड अर्थराइटिस में सबसे ज्यादा नुकसान जोड़ो के अस्तर और कार्टिलेज को होता है जिससे अंत में दो विपरीत की हड्डियों में घिसावट होती है । आर् ए अक्सर उँगलियों, कलाइयों, घुटनों, और बाँहों के जोड़ो पर असर करता है ।


     गाउट अर्थराइटिस

    जोड़ो पर यूरिक एसिड क्रिस्टल जमा होने के कारण होता है,  जिससे सूजन पैदा होती है । शुरूआत में, गाउट अर्थराइटिस साधारणः एक जोड़ पर होती है,  लेकिन समय के साथ,  ये  अन्य जोड़ो पर भी हो सकती है और पंगु कर सकती है इसमें जोड़ें अक्सर फूल जाते हैं और काम करना बंध कर देते हैं ।

    https://www.amazon.in/dp/B07YTXFK92/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_Dfe0EbMBW1SST







    नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड

    नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड :
                       
    आयरन एक रासायनिक तत्व है जो पृथ्वी पर भार के हिसाब से उच्च स्तर पर पाया जाता है । आयरन सभी जीवित प्राणियों में पाया जाता है । हीमोग्लोबिन की वजह से रक्त का रंग लाल होता है । हीमोग्लोबिन एक आयरन प्रोटीन है जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन के संचार के लिए जिम्मेदार है । आयरन की कमी से होने वाली बीमारी एनीमिया को रोकने के लिए आयरन उपयोगी है ।

    फोलिक एसिड जल में घुलने वाला विटामिन बी है । खाद्य पूरक उद्योगों में फोलिक एसिड को फोलेट कहा जाता है । खाद्य पूरक उद्योगों में फोलेट का आशय किसी भी " प्राकृतिक रूप से उपलब्ध फोलिक एसिड " से है जिसे विटामिन बी9 भी कहा जाता है ।

    आयरन एवं फोलिक एसिड प्राकृतिक रूप से हरी सब्जियों  ( जैसे पालक, ब्रोकोली एवं सलाद के पत्ते में ), फल  ( जैसे केला, तरबूज एवं नींबू में ), बीन्स, यीस्ट, मशरूम, संतरे का जूस, टमाटर का जूस एवं मांस उत्पादों में पाया जाता है ।

    लेकिन अपने अनियमित खान - पान की आदतों व दोषपूर्ण जीवनशैली के कारण, हमें अपने भोजन से आयरन एवं फोलिक एसिड पर्याप्त प्राप्त होता है जिससे कम उम्र में ही कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं ।
                             
    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय  ( भारत सरकार ) एवं यूनिसेफ की वेबसाइट पर दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में से है जहां अधिकांश जनसंख्या रक्ताल्पता से ग्रस्त है । लगभग 58% गर्भवती महिलाएं,  50% अविवाहित महिलाएं, 56%  युवा कन्याएं, 30% युवा लड़के एवं दो वर्ष से कम उम्र के लगभग 80%  बच्चे आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी से ग्रस्त हैं ।

                     

    आयरन एवं फोलिक एसिड वैसे एनीमिया से पीडि़त लोगों के लिए आवश्यक है जिन्हें स्वस्थ्य जीवन के लिए हीमोग्लोबिन के बढ़े स्तर की जरूरत है । आयरन जहां हीमोग्लोबिन संश्लेषण को नियमित करता है वहीं फोलिक एसिड रक्त संश्लेषण में सहायता करता है  एवं स्थायी व तीक्ष्ण रक्त हानि में कमी लाता है । स्तनपान कराने वाली एवं गर्भस्थ स्त्रियों के लिए भी श्रेष्ठ है क्योंकि यह स्त्री और उनके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रधानता देता है ।

    आयरन का उपयोग इसकी व्यावहारिक कमियों को दूर करने में भी किया जाता है जब सुजन जैसी कुछ अवस्थाओं में इसकी आवश्यकता शरीर द्वारा पूर्ति से अधिक होती है । मुख्य रूप से यह देखा जाता है कि रक्ताल्पता के अन्य कारणों जैसे विटामिन बी12/फोलेट की कमी, औषधि - प्रेरित अथवा सीसा जैसे विष इत्यादि की जांच कर ली गई है क्योंकि कई बार रक्ताल्पता के कई आंतरिक कारण होते हैं ।

    फोलेट एवं फोलिक एसिड की उत्पत्ति लैटिन शब्द फोलियम से हुई है जिसका अर्थ है "पत्ता " । फोलेट प्राकृतिक रूप से कई खाद्य पदार्थ में एवं विशेष रूप से गहरे हरे पत्तेदार सब्जियों में प्रचुरता में पाया जाता है ।

    विटामिन बी9  ( फोलिक एसिड परिवर्तित होने पर फोलेट ) कई शारिरिक कार्यों के लिए आवश्यक है । मानव शरीर द्वारा फोलेट का संश्लेषण नहीं किया जा सकता है । अतः फोलेट की आपूर्ति आहार से की जाती है जिससे कि दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके । मानव शरीर को फोलेट की आवश्यकता डी.एन.ए. के संश्लेषण में डी.एन.ए के मरम्मत एवं मीडिया मीथाइलेट डी.एन.ए. मे होने के अतिरिक्त कुछ खास जैविक प्रक्रियाओं में सहायक - कारक के रूप में होती है । इसकी खास आवश्यकता शैशव काल एवं प्रसवावस्था जैसी अवस्था में त्वरित कोशिक विभाजन एवं विकास में होती है । बालक एवं वयस्क दोनों को ही फोलेट की आवश्यकता है जिससे कि स्वस्थ्य लाल रक्त कण का निर्माण हो सके एवं एनीमिया रोका जा सके ।


    फोलेट की कमी के सामान्य लक्षणों में दस्त, मैक्रोलाइटिक एनीमिया के साथ कमजोरी एवं श्वांस लेने में कमी,  तंत्रिका क्षति के साथ कमजोरी एवं अवयव संवेदनशून्यता  ( पेरिफेरल नयूरोपैथी ),  गर्भावस्था जटिलता, मानसिक क्रमभंम, विस्मृति अथवा अन्य बोधन तंत्र अभाव, मानसिक तनाव,  संक्रमित अथवा सूजी जीभ, पेप्टिक अल्सर अथवा माउथ अल्सर,  सिर दर्द, धड़कन में तेजी,  चिड़चिड़ापन एवं व्यवहारिवादी विकार शामिल हैं ।


    नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड कैप्सूल उन सभी सामग्रियों से भरपूर है जो आपको स्वास्थ्य शरीर देते हैं एवं आपको चुस्त रखते हैं । फोलेट  ( विटामिन बी9 ) एक आवश्यक पोषक तत्व है जो हरी पत्तेदार सब्जियों, ब्रोक्कोली,  मटर, संतरा, अनाज, दाल एवं मांस में पाया जाता है । डी.एन.ए. संश्लेषण व तत्पश्चात कोशिका विभाजन में की महत्वपूर्ण भूमिका है । फोलेट की उल्लेखनीय कमी से मैक्रोलाइटिक एनीमिया हो सकती है ।
     


    आयरन एवं फोलिक एसिड जो कि एक प्रकार का फोलेट पूरक है,  बेहतर ढंग से अवशोषित किए जाने के कारण अत्यंत प्रभावी है । यदि आप प्रसूतिकाल में नहीं हैं तो यह सलाह दी जाती है कि फोलेट के लिए केवल खाद्य पदार्थों पर आश्रित न रहें ।


    फोलिक एसिड रक्त में फोलिक एसिड के कम स्तर  ( फोलिक एसिड न्यूनता ) एवं इसकी जटिलताओं को रोकने एवं इसका उपचार करने में उपयोगी होने के साथ ही " टायर्ड ब्लड "  ( एनीमिया ) एवं आंतों का उचित अवशोषण करने में भी सहयोग देता है । फोलिक एसिड न्यूनता से संबंधित अन्य परिस्थितियों में भी फोलिक एसिड का प्रयोग किया जाता है जिसमें अल्सरेटिव कोलाइटिस,  जिगर रोग,  अतिपानता एवं किडनी डायलिसिस शामिल हैं ।



    आयरन एवं फोलिक एसिड समृतिक्षीणति,  अल्जाइमर रोग,  उम्र - जतिन बहरापन, नेत्र रोग,  आयु - जनित मैक्यूलर डीजनरेशन ( ए.एम.डी. ) , उम्र के चिन्हों को कम करने,  कमजोर हड्डी, ( अस्थि - सुषिरता ), Jumpy legs  ( restless leg sysdrome ) अनिद्रा की समस्या,  तंत्रिका पीड़ा,  मांसपेशियों में पीड़ा एवं विटामिनों नामक त्वचा विकार में लाभदायी है ।



    नरीश आयरन एवं फोलिक एसिड कैप्सूल के लाभ


    • फोलिक एसिड कमी के इलाज व रोकथाम में सहयोगी ।
    • उन व्यक्तियों में हिमोसिस्टीन स्तर को कम करता है जिनका गुर्दा खराब हो गया है । ऐसे 80% लोगों में हिमोसिस्टीन का स्तर अधिक होता है जिनका गुर्दा खराब हो गया है  हिमोसिस्टीन के उच्च स्तर को ह्रदय रोग एवं दौरा से जोड़ कर देखा जाता है । गुर्दा रोग के व्यक्तियों को फोलिक एसिड के सेवन से हिमोसिस्टीन का स्तर कम करने में मदद मिलती है । 
    • स्तर कैंसर एवं अग्नाशय के कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है । यह लाभ और अधिक हो जाता है जब महिलाएं फोलिक एसिड के अतिरिक्त अपने आहार में विटामिन बी12 एवं विटामिन बी6 लेती हैं ।
    • प्रसवावस्था के दौरान मसूड़ों के रोग के जोखिम को कम करता है ।
    • मैक्यूलर डिजनरेशन को रोकता है । यह पाया गया है कि विटामिन बी6 एवं विटामिन बी12 सहित अन्य विटामिन के साथ फोलिक एसिड लिए जाने पर उम्र - जनित  मैक्यूलर डिजनरेशन नामक नेत्र की रोकथाम में मदद मिल सकती है ।
    • कोरोनरी धमनी के रोगियों में ह्रदय आघात,  दौरा एवं अन्य संगत परिस्थितियों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है ।
    • दिल के दौरे के खतरे को कम करने में मदद करता है और अन्य क्रोनिकनरी ह्रदय रोग की रोकथाम की संभावना को कम करता है ।
    • दुबारा दौरा की संभावना को कम करता है ।
    • क्रोनिक फेटिग सिन्डम में उपयोगी है ।
    https://www.amazon.in/dp/B083BTWBPG/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_Yae0Eb8RJ43A1




    Tuesday, June 11, 2019

    नरीश ओमेगा - 3 फॅटी एसिड विषयी

    नरीश ओमेगा - 3 फॅटी एसिड विषयी :
                             
    हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और लिपिड के सही उपयोग एवं स्वास्थ्य त्वचा के लिए ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड महत्वपूर्ण है । इसका नियमित सेवन जहां हानिकारक एल.डी.एल. कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है वही गुणकारी एच.डी.एल. कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है । शरीर के तंत्रिका और रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करता है । एवं डीएनए के निर्माण में मदद करता है जो कि सभी कोशिकाओं की आनुवांशिक सामग्री है ।


    यह एनीमिया को रोकता है जिससे लोगों को थकान और कमजोरी होती है । लोगों में ब्लड शूगर को नियंत्रित करने, तनाव को काबू में करने, खेल - कूद में सुधार कर बढ़िया प्रदर्शन देने में अत्यंत प्रभावी है । जीवनशैली विकारों से लड़ने के लिए शक्तिशाली एंटी-ऑकसीडेंट है ।


    ओमेगा - 3 फॅटी एसिड्स सामान्य चयापचय के लिए महत्वपूर्ण हैं । ओमेगा - 3 को अनिवार्य फैट्टि एसिड माना जाता है यानि शरीर द्वारा इसका निर्माण नहीं हो सकता है ।


    तथापि, स्तनधारी में सीमित रूप में ओमेगा - 3 वसा के संश्लेषण की क्षमता होती है यदि आहार में शाॅर्ट - चेन ओमेगा - 3 फॅटी एसिड ए.एल.ए. ( एल -- लीनोलेनिक एसिड, 18 कार्बन्स एवं 3 डबल बॉन्ड्स ), जिससे और अधिक महत्वपूर्ण लाॅग चेन ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड ईपीए  ( इकोसैपेंटीनोइक एसिड, 20  कार्बन एवं 5  डबल बॉन्ड ) बन सके एवं फिर और अधिक सक्षम ई.पी.ए. से सबसे अधिक महत्वपूर्ण डी.एच.ए. ( डोकोसैहेक्सिनोइक एसिड, 22 कार्बन एवं 6 डबल बॉन्ड ) का निर्वाण हो सके ।


    उम्र बढ़ने के साथ एएलए से लाॅग चेन ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड के संश्लेषण की प्रक्रिया क्षीण हो सकती है । खुली हवा में रखे गए भोजन में अनसैचुरेटेड फैट्टि एसिड  ऑक्सीकरण एवं अम्ल -- वर्षा से असुरक्षित होते हैं ।


    नरीश ओमेगा - 3 फॅटी एसिड कैप्सूल में वो सभी सामग्री है जो आपको स्वास्थ्य शरीर और अच्छी हालात में रखने के लिए कार्य करते हैं ।
                         



    नरीश ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड कैप्सूल क्यों?

    • रक्त वसा में फैट्टि एसिड  (ट्राइग्लिसराइड ) :     अनेक अध्ययन के अनुसार, फैट्टि एसिड अनुपूरक बढ़े हुए ट्राइगिलसराइड स्तर को कम कर सकता है । इस रक्त वसा का उच्च स्तर ह्रदय रोगों के लिए जोखिम का कारक है ।  अकेले डी.एच.ए. ट्राइगिलसराइड स्तर को कम कर सकता है ।
    • संधिवात गठिया में फैट्टि एसिड  :   अनेक अध्ययन में यह पाया गया है कि फैट्टि एसिड अनुपूरक  (ई.पी.ए.  एवं डी.एच.ए. ) ने महत्वपूर्ण ढ़ंग से अकड़न और जोड़ों के दर्द को कम किया है । यह प्रतीत होता है कि फैट्टि एसिड प्रदाहनाशी औषधियों की प्रभाविता को बढ़ाता है । 
    • तनाव में फैट्टि एसिड  :    फैट्टि एसिड तनाव के स्तर को कम करता है एवं अवसादरोधी औषधियों की प्रभाविता को बढ़ाता है । द्विध्रुवी विकार में तनाव - संबंधी लक्षणों को फैट्टि एसिड कम करता है ।
    • प्रसवपूर्व स्वास्थ्य में फैट्टि एसिड :   डी.एच.ए.  शिशुओं के विजुअल एवं तंत्रिका संबंधी विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रतीत होता है । गर्भावस्था के दौरान अथवा स्तनपान के दौरान नरीश ओमेगा - 3 फॅटी एसिड का अनुपूरक बच्चों को लाभ प्रदान करता है ।
    • दमा में फैट्टि एसिड :  साक्ष्य संकेत देते हैं कि फैट्टि एसिड सूजन को कम करता है जो कि दमा का एक प्रमुख अवयव है । फैट्टि एसिड अनुपूरक फेफड़ों की कार्य -प्रणाली में सुधार करता है अथवा किसी दमा पर नियंत्रण के लिए किसी व्यक्ति को आवश्यक औषधियों की मात्रा कम करता है ।
    • ए.डी.एच.डी. में में फैट्टि एसिड  : फैट्टि एसिड कुछ बच्चों में ए.डी.एच.डी.  के लक्षणों को कम कर सकता है एवं उनके ज्ञान संबंधी कार्य में सुधार कर सकता है ।
    • अल्जाइमर्स रोग एवं पागलपन में फैट्टि एसिड  :   फैट्टि एसिड अल्जाइमर्स रोग एवं पागलपन से बचाव करता है । हाल के अध्ययन में भी यह पाया गया है कि अल्जाइमर्स जनित मनोभ्रंश अथवा आयु - संबंधी स्मरण समस्याओं में फैट्टि एसिड हवास को धीमा कर सकता है । फैट्टि एसिड में डी.एच.ए.  एक लाभदायी अनुपूरक हो सकता है एवं आयु के कारण हो रही स्मरण - क्षीणता पर सकारात्मक प्रभाव ला सकता है ।




    ह्रदयवाहिनी रोगों में 

    लौंग चेन ओमेगा - 3 फॅटी एसिड वाला भोजन से संभवतः दौरा के जोखिम को कम किया जा सकता है । ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड का सिस्टोलिक रक्तचाप पर सामान्य प्रभाव पड़ता है ।

    कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, सूजे हुए नस जैसे परिसंचरण समस्याओं वाले व्यक्ति ई.पी.ए.  एवं डी.एच.ए.  के सेवन से लाभ पा सकते हैं जो रक्त संचार को उत्तेजित कर सकता है, फाइब्रिन का विघटन बढ़ा सकता है जो कि थक्के एवं चकत्ता बनाने में उपयोगी हैं । इसके अतिरिक्त, यह रक्त चाप को भी कम कर सकता है । निस्संदेह, ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड रक्त इग्लिसराइड स्तर को कम कर सकता है एवं इसका नियमित सेवन सेकंडरी एवं प्राइमरी ह्रदयाघात के जोखिम को कम कर सकता है । ए.एल.ए. ,  ई.पी.ए. एवं डी.एच.ए. के ह्रदयवाहिनी लाभ प्रदान नहीं करता है ।



    सूजन में 

    शोधकर्ताओं के अनुसार, लौंग चेन ओमेगा -3 फैट्टि एसिड का नैदानिक प्रभाव हो सकता है ।
    संधिवता गठिया के लिए,  "जोड़ो में सूजन और दर्द, प्रातःकाल में अकड़न, पीड़ा के संपूर्ण आकलन एवं रोग का प्रसार " जैसे लक्षणों पर व्यवस्थित समीक्षा के दौरान marine n - 3 PUFAs के साथ नाॅन - सटीराॅयडल प्रदाहनाशी औषधियों का मामूली लेकिन सुसंगत प्रभाव देखा गया है ।  The National Center for Complementary and Alternative Medicine  ने निष्कर्ष निकाला है कि " किसी भी खाद्य अनुपूरक ने संधिवात गठिया के लिए स्पष्ट लाभ नहीं दिखाया है " परंतु प्राथमिक साक्ष्य यह बताते हैं कि ओमेगा - 3 लाभदायी हो सकता है ।



    विकासात्मक मानसिक विकारों में

    ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड ए.डी.एच.डी. ,  ऑटिज्म डिसऑर्डर एवं अन्य विकासात्मक विभेद के उपयोग है । ऐसे बच्चों के लिए ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड काफी लोकप्रिय हुआ है ।




    मानसिक स्वास्थ्य में

    शोध यह बताते हैं कि ओमेगा - 3 फैट्टि एसिड एसिड मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित है । साथ ही यह कि द्विध्रुवी विकार से संबंधित तनाव के उपचार में  वे संभावित रूप से पूरक के रूप उपयोगी हो सकते हैं । इस बात के प्रारंभिक सबूत हैं कि तनाव के मामलों में ई.पी.ए. अनुपूरक उपयोगी है ।

    https://www.amazon.in/dp/B0748HQW6C/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_T-d0Eb9YEMWB5











    Tuesday, June 4, 2019

    नरीश ग्रीन काॅफी रस

    नरीश ग्रीन काॅफी रस
               
    ग्रीन काॅफी बीन्स काॅफी की फलियां हैं । इन काॅफी की फलियों में एक रसायन क्लोरोफेनिक एसिड होता है । माना जाता है कि इस रसायन से स्वास्थ्य को लाभ प्राप्त होता है । काॅफी की फलियों को भुनने से इस क्लोरोफेनिक एसिड नामक रसायन की मात्रा में कमी हो जाती है ।

    ग्रीन काॅफी में मौजूद क्लोरोफेनिक एसिड का ह्रदय रोगों, मधुमेह, वजन में कमी के लिए, ग्रीन काॅफी में मौजूद क्लोरोफेनिक एसिड यह प्रभावित करता है कि हमारा शरीर रक्त शर्करा एवं चयापचय से किस प्रकार निबटे ।

                 

    नरीश ग्रीन काॅफी रस की विशेषता

    इन्हें बाहरी लुगदी एवं लासा को हटाने के लिए गीले एवं सुखे तरीके से संसाधित किया गया है । इनके बाहरी हिस्से पर गोंद अक्षुण्ण है । कच्ची अवस्था में, यह हरे रंग का होता है । पकने पर, यह भूरा - पीला से लेकर रक्तिम रंग का होता है एवं प्रत्येक सुखा हुआ काॅफी का बीज औसतन 300 से 330 मि°ग्रा° होता है । हरी काॅफी के बीज में कैफीन जैसे स्थिर और गैर - स्थिर यौगिक कीड़ों और जानवरों को इन्हें खाने से रोकते हैं ।


    इसके अतिरिक्त, भूने जाने पर ये स्थिर और गैर - स्थिर यौगिक काॅफी के स्वाद में वृद्धि करते हैं । भुना काॅफी के सुगंध एवं इसके जैविक कार्यविधि के लिए गैर - स्थिर नाइट्रोजन यौगिक  ( जैसे एल्कलाॅयडस, ट्राइगोनेलाइन, प्रोटीन एवं फ्री एमिनो  एसिड ) एवं कार्बोहाइड्रेट प्रमुख रूप से महत्वपूर्ण हैं ।

                   
    क्लोरोफेनिक एसिड किस प्रकार कार्य करता है  ?

    वजन कम करने के लिए यह  एसिड प्रमुख है क्योंकि यह जिगर को संग्रहित वसा को पहले खत्म करने का सिग्नल देता है । यह शर्करा को ग्लूकोज में संसाधन की प्रक्रिया को भी धीमा करता है जिससे कि रक्त में इसकी मात्रा ज्यादा न हो सके । इससे वसा का नाश होता है और अतिरिक्त ग्लूकोज बाद में वसा मेें परिवर्तित नहीं हो पाताहै । इसलिए इसका तात्कालिक एवं दूरगामी लाभ है ।



    नरीश ग्रीन काॅफी सत्व का लाभ

    1. ग्रीन काॅफी सत्व उच्च रक्त  चाप को कम करने में सहायता करता है ।
    2. व्यायाम के साथ ग्रीन काॅफी सत्व वजन कम करने में सहायता करता है ।
    3. ग्रीन काॅफी सत्व अल्जाइमर रोग की रोकथाम करता है ।
    4. ग्रीन काॅफी सत्व मधुमेह टाइप -- 2 रोकता है ।
    5. ग्रीन काॅफी सत्व संक्रमण रोकता है ।

                               


    ग्रीन काॅफी सत्व में वे सभी तत्व मौजूद हैं जो आपको तंदुरूस्त एवं फिट शरीर देते हैं । नरीश ग्रीन काॅफी सत्व में निम्नलिखित मौजूद हैं :

    गैर - स्थिर एल्कलाॅयडस 

    कैफीन  वह एल्कलाॅयडस है जो हरे एवं भुने हुए काॅफी बीज में पाया जाता है । अधिकांश प्रोटीन 11 -- एस भंडारण प्रकार के हैं जोकि हरी काॅफी बीज की परिपक्वता के दौरान मुक्त एमिनो एसिड के रूप में विकृत हो जाते हैं इसके अतिरिक्त,  भुनने के तापमान के अंतर्गत 11-- एस भंडारण प्रोटीन,  अलग एमिनो एसिड में विकृत हो जाते हैं । अन्य प्रोटीन में एंजाइम शामिल हैं,  जैसे कैटलेज एवं पाॅलीफेनाॅल ऑक्सीजन,  जोकि हरी काॅफी बीज की परिपक्वता के लिए आवश्यक है ।



    प्रोटीन एवं एमिनो एसिड 

    सूखी हरी काॅफी के बीजों का 8% से 12% प्रोटीन है । ज्यादातर प्रोटीन 11-ऽ स्टोरेज प्रजाति के होते हैं  जिनमे से अधिकतर हरी काॅफी के बीज के परिपक्व होने के समय मुक्त एमिनो एसिड में बदल जाते हैं । इसके अलावा,  11-ऽ स्टोरेज प्रोटीन रोस्टिंग तापमान में भी अलग  - अलग एमिनो एसिड्स में बदल जाते हैं । दूसरे प्रोटीन में एंजाइम होते हैं , जैसे केटालीस और पाॅलिफेनोल ओक्सीडेस जो हरी काॅफी के बीजों की परिपक्वता के लिए महत्वपूर्ण हैं । 



    कार्बोहाइड्रेट 

    निबल हरी काॅफी बीज का 50% कार्बोहाइड्रेट का होता है । हरी काॅफी में पाॅलीसैकराइड जैसे ऐरेबिनोगैलेक्टीन,  गैलेक्टोमन्नन एवं सेलुलोज की अधिकता होती है जिसके कारण हरी काॅफी का स्वादहीन सुगंध होता है । परिपक्व भूरा व पीला -- हरा काॅफी बीज में फ्री मोनोसैक्कराइड पाए जाते हैं । मोनोसैक्कराइड के मुक्त भाग में सुक्रोज (ग्लूको -- फ्रूक्टोज ) होता है । मैनिटोल हाइड्रोकसील रेडिकल्स का शक्तिशाली अपमार्रजक है  जो जैविक झिल्लियों में लिपिड के पेरोक्सिडेशन के दौरान निर्मित होता है ।



    लिपिड

    ग्रीन काॅफी में पाए जाने वाले लिपिड हैं: लीनोलेक एसिड,  डिटनपेन्स,  ट्राइगिलसराइड,  अनसैचुरेटेड लाॅग चेन फैट्टि एसिड्स एवं एमाइडस । सूखे ग्रीन काॅफी में लिपिड की मात्रा 11.7 ग्राम से 14 ग्राम /100 ग्राम के मध्य होती है । भीतरी कोख में लिपिड मौजूद होते हैं । इन डिटनपेन्स  को रसायनिक ऑक्सीकरण  से जिगर उत्तकों की रक्षा के लिए इन विट्रो प्रयोगों में दिखाया गया है ।


    गैर - स्थिर क्लोरोफेनिक एसिड्स 

    क्लोरोफेनिक एसिड्स फेनोलिक एसिड नामक यौगिक समूह से संबंधित हैं जो कि एंटी-ऑकसीडेंट हैं । सूखे रोबस्टा ग्रीन काॅफी में क्लोरोफेनिक एसिड की मात्रा 65 मि°ग्रा°/ग्राम हैं एवं अरबिका में 140 मि°ग्रा°/ग्राम है 
    । ये क्लोरोफेनिक एसिड की एंटी-ऑकसीडेंट क्षमता एस्काॅर्बिक एसिड  ( विटामिन सी ) अथवा मैनिटोल के मुकाबले कहीं अधिक है जोकि एक चयनात्मक हाइड्रोक्सी - रैडिकल  अपमार्रजक है । कम मात्रा में इसका स्वाद कड़वा होता है ।




    स्थिर यौगिक 

    ग्रीन काॅफी बीज के स्थिर यौगिकों में शाॅर्ट चेन फैट्टि एसिड्स,  एल्डिहाइड एवं नाइट्रोजन वाले सुगंधित कण शामिल है,  जैसे कि पायरेजाइन्स के डेरिवेटिव्स  ( मिट्टी के हरे पौधे की गंध वाला ) ।





    Saturday, June 1, 2019

    नरीश आंवला चटपटा कैंडी

    नरीश आंवला चटपटा कैंडी :
                       

    आंवला शब्द संस्कृत के शब्द आमलकी से आया है जिसका अर्थ किसी फल का खट्टा जूस होता है । चीनी जेड की तरह पीला - हरा, ये गोलाकार फल विटामिन सी का रेशामय भंडार है जिसे इसके अत्यंत तीव्र चिकित्सीय गुणों के कारण पीढ़ियों से सराहा जाता रहा है ।


    विटामिन सी की अति मौजूदगी के कारण आंवला स्वाद में खट्टा होता है  ( इसमे संतरा के मुकाबले 30 गुणा अधिक विटामिन सी होता है ), परंतु खाने के बाद स्वाद ग्रंथियों पर मिठास की अनुभूति होती है ।


    100 ग्राम प्राकृतिक भारतीय गूस्बेरी में पौष्टिक लाभ निम्नलिखित है


    पोषक तत्व                                              प्रति 100 मिलीमीटर

    उर्जा                                                          352 Kcal 
    कार्बोहाइड्रेट                                               87 gm 
    वसा                                                           0-09 gm 
    विटामिन सी                                                540 mg 
    कैल्शियम                                                   0-21 mg
     प्रोटीन                                                       0-49 gm


    अपने पौषणिक लाभों के कारण आंवला दशकों से लोकप्रिय रहा है ।भारत में , इस फल का उपयोग अचार, चटनी, जैम, एवं मुरब्बा बनने में किया जाता है ।


    आंवला विटामिन सी एवं अन्य पोषक तत्वों का भंडार है जो कि अन्य अनेक स्वास्थ्य एवं सौंदर्य लाभ प्रदान करता है ।
    आंवला फल सुविख्यात है व आमला का पूरे विश्व में उपयोग किया जाता है ।

    अच्छी खबर है कि आमला का सभी लाभ स्मार्ट वैल्यू एक जूस में लेकर आए हैं । आप इन सब लाभों को पैक बाॅक्स में कभी भी और कहीं भी पा सकते है ।



    नरीश आंवला जूस जूस ताजे एवं प्राकृतिक आंवला जूस से तैयार किया जाता है । यह विटामिन सी का बहुत बढ़िया स्त्रोत है जोकि एक शक्तिशाली एंटी-ऑकसीडेंट है । यह मुक्त रैडिकल के नुकसानदायी प्रभावों को निषप्रभावित करता है एवं क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करता है । यह नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायक बनकर उम्र की प्रक्रिया में देरी करता है । यह जिगर को विष - रहित करता है एवं रक्त विषाणुओं को कम करता है ।


    सर्दी, ठंड एवं संक्रमण से शरीर को बचा कर आंवला शरीर को प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है । यह मलोत्सर्ग को नियमित करता है एवं अति अम्लता को नियंत्रित करता है । यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने एवं रक्त - चाप भी
    बनाए रखने में मदद करता है । आंवला मस्तिष्क एवं आंखों के लिए बलवर्धक टाॅनिक का काम करता है ।



    आंवला जूस के नियमित सेवन से श्वसन एवं रक्तवह - तंत्र प्रणाली को मजबूत रखने में मदद मिलती है । आंवला त्वचा और बालों को चमक बनाए रखता है और उन्हें युवा रखता है । नरीश आंवला जूस में स्वाभाविक रूप से निम्नलिखित पोषक तत्व भरपूर हैं,  जैसे --

    • टैनिनः- प्रकृतिक रूप से पाए जाने वाले पाॅलिफेनाॅल्स जो अच्छे एंटी-ऑकसीडेंट हैं ।
    • क्षाराभः- प्रदाहनाशी गुण - युक्त प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले नाइट्रोजन यौगिक, 
    • फेनाॅलिकः- एंटी-ऑकसीडेंट एवं संक्रमण - रोधी गुण,  एमिनो एसिड वाले कार्बनिक यौगिक । प्रोटीन के बिल्डिंग ब्लॉक ।
    • कार्बोहाइड्रेटसः- बल प्रदाता ।
    • विटामिन :- अंगों को पोषित करता है,  एवं मीनिरल 
                 

    नरीश आंवला कैंडी के लाभ

    आंवला दिन भर के लिए हमारी ऊर्जा को फिर से भर देता है । विटामिन सी एवं आयरन जैसे मीनिरल का भंडार होने के कारण,  यह कई बीमारियों को रोक सकता है एवं स्वास्थ्य में सुधार करता है । नरीश आंवला कैंडी भारतीय प्राकृतिक गूस्बेरी के शुद्ध अर्क से बनाया जाता है । इसलिए आंवला कैंडी का नियमित सेवन आपको निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ देता है :-

    • श्वांस - रोग एवं ब्रोंकाइटिस में राहत देने में आंवला बहुत उपयोगी है ।
    • आंवला वसा को नष्ट करने में मदद करता है ।
    • आंवला कब्ज और बवासीर में उपयोगी है ।
    • आंवला गैस्ट्रिक विकारों के उपचार में मदद करता है ।
    • आंवला रक्त - शोधक का कार्य करता है ।
    • आंवला आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करता है ।
    • आंवला ह्रदय के लिए लाभदायी है ।
    • आंवला मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है ।
    • आंवला शीतदायी एजेंट है ।
    • आंवला सूजन में आराम पहुंचाता है ।
    • आंवला मुंह के स्वास्थ्य में सुधार करता है ।
    • आंवला त्वचा का वर्ण हल्का करता है ।
    • काल - प्रभाव विरोधी के रूप में आंवला उपयोगी है ।
    • आंवला रंजकता के उपचार में मदद करता है ।
    • श्वास - रोग एवं ब्रोंकाइटिस में राहत देने में आमला बहुत उपयोगी है ।
    • आंवला वसा को तेजी से नष्ट करने में मदद करता है ।
    • आंवला कब्ज और बवासीर में उपयोगी है ।
    • आंवला बालों को मजबूत बनाने में सहायक होता है ।
    • आंवला समय से पहले GRAYING रोकता है ।
    • आंवला टोनिंग और त्वचा के कसाब में मदद करता है ।
    • आंवला फुंसी और मुहांसों के उपचार में उपयोगी है ।
    • आंवला क्षतिग्रस्त उत्तकों की मरम्मत में उपयोगी है ।
    • आंवला समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकता है ।
    https://www.amazon.in/dp/B07X7WM5DJ/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_lDd0EbMT42ZY9

      नरीश आंवला कैंडी स्वीट

      नरीशआंवला कैंडी स्वीट :
                                                                               

      आंवला शब्द संस्कृत के शब्द आमलकी से आया है जिसका अर्थ किसी फल का खट्टा जूस होता है । चीनी जेड की तरह पीला - हरा, ये गोलाकार फल विटामिन सी का रेशामय भंडार है जिसे इसके अत्यंत तीव्र चिकित्सीय गुणों के कारण पीढ़ियों से सराहा जाता रहा है ।


      विटामिन सी की अति मौजूदगी के कारण आंवला स्वाद में खट्टा होता है  ( इसमे संतरा के मुकाबले 30 गुणा अधिक विटामिन सी होता है ), परंतु खाने के बाद स्वाद ग्रंथियों पर मिठास की अनुभूति होती है ।


      100 ग्राम प्राकृतिक भारतीय गूस्बेरी में पौष्टिक लाभ निम्नलिखित है


      पोषक तत्व                                              प्रति 100 मिलीमीटर

      उर्जा                                                          352 Kcal 
      कार्बोहाइड्रेट                                               87 gm 
      वसा                                                           0-09 gm 
      विटामिन सी                                                540 mg 
      कैल्शियम                                                   0-21 mg
       प्रोटीन                                                       0-49 gm


      अपने पौषणिक लाभों के कारण आंवला दशकों से लोकप्रिय रहा है ।भारत में , इस फल का उपयोग अचार, चटनी, जैम, एवं मुरब्बा बनने में किया जाता है ।


      आंवला विटामिन सी एवं अन्य पोषक तत्वों का भंडार है जो कि अन्य अनेक स्वास्थ्य एवं सौंदर्य लाभ प्रदान करता है ।
      आंवला फल सुविख्यात है व आमला का पूरे विश्व में उपयोग किया जाता है ।

      अच्छी खबर है कि आमला का सभी लाभ स्मार्ट वैल्यू एक जूस में लेकर आए हैं । आप इन सब लाभों को पैक बाॅक्स में कभी भी और कहीं भी पा सकते है ।



      नरीश आंवला जूस जूस ताजे एवं प्राकृतिक आंवला जूस से तैयार किया जाता है । यह विटामिन सी का बहुत बढ़िया स्त्रोत है जोकि एक शक्तिशाली एंटी-ऑकसीडेंट है । यह मुक्त रैडिकल के नुकसानदायी प्रभावों को निषप्रभावित करता है एवं क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करता है । यह नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायक बनकर उम्र की प्रक्रिया में देरी करता है । यह जिगर को विष - रहित करता है एवं रक्त विषाणुओं को कम करता है ।


      सर्दी, ठंड एवं संक्रमण से शरीर को बचा कर आंवला शरीर को प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है । यह मलोत्सर्ग को नियमित करता है एवं अति अम्लता को नियंत्रित करता है । यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने एवं रक्त - चाप भी
      बनाए रखने में मदद करता है । आंवला मस्तिष्क एवं आंखों के लिए बलवर्धक टाॅनिक का काम करता है ।



      आंवला जूस के नियमित सेवन से श्वसन एवं रक्तवह - तंत्र प्रणाली को मजबूत रखने में मदद मिलती है । आंवला त्वचा और बालों को चमक बनाए रखता है और उन्हें युवा रखता है । नरीश आंवला जूस में स्वाभाविक रूप से निम्नलिखित पोषक तत्व भरपूर हैं,  जैसे --

      • टैनिनः- प्रकृतिक रूप से पाए जाने वाले पाॅलिफेनाॅल्स जो अच्छे एंटी-ऑकसीडेंट हैं ।
      • क्षाराभः- प्रदाहनाशी गुण - युक्त प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले नाइट्रोजन यौगिक, 
      • फेनाॅलिकः- एंटी-ऑकसीडेंट एवं संक्रमण - रोधी गुण,  एमिनो एसिड वाले कार्बनिक यौगिक । प्रोटीन के बिल्डिंग ब्लॉक ।
      • कार्बोहाइड्रेटसः- बल प्रदाता ।
      • विटामिन :- अंगों को पोषित करता है,  एवं मीनिरल 
                           

      नरीश आंवला कैंडी के लाभ

      आंवला दिन भर के लिए हमारी ऊर्जा को फिर से भर देता है । विटामिन सी एवं आयरन जैसे मीनिरल का भंडार होने के कारण,  यह कई बीमारियों को रोक सकता है एवं स्वास्थ्य में सुधार करता है । नरीश आंवला कैंडी भारतीय प्राकृतिक गूस्बेरी के शुद्ध अर्क से बनाया जाता है । इसलिए आंवला कैंडी का नियमित सेवन आपको निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ देता है :-

      • श्वांस - रोग एवं ब्रोंकाइटिस में राहत देने में आंवला बहुत उपयोगी है ।
      • आंवला वसा को नष्ट करने में मदद करता है ।
      • आंवला कब्ज और बवासीर में उपयोगी है ।
      • आंवला गैस्ट्रिक विकारों के उपचार में मदद करता है ।
      • आंवला रक्त - शोधक का कार्य करता है ।
      • आंवला आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करता है ।
      • आंवला ह्रदय के लिए लाभदायी है ।
      • आंवला मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है ।
      • आंवला शीतदायी एजेंट है ।
      • आंवला सूजन में आराम पहुंचाता है ।
      • आंवला मुंह के स्वास्थ्य में सुधार करता है ।
      • आंवला त्वचा का वर्ण हल्का करता है ।
      • काल - प्रभाव विरोधी के रूप में आंवला उपयोगी है ।
      • आंवला रंजकता के उपचार में मदद करता है ।
      • श्वास - रोग एवं ब्रोंकाइटिस में राहत देने में आमला बहुत उपयोगी है ।
      • आंवला वसा को तेजी से नष्ट करने में मदद करता है ।
      • आंवला कब्ज और बवासीर में उपयोगी है ।
      • आंवला बालों को मजबूत बनाने में सहायक होता है ।
      • आंवला समय से पहले GRAYING रोकता है ।
      • आंवला टोनिंग और त्वचा के कसाब में मदद करता है ।
      • आंवला फुंसी और मुहांसों के उपचार में उपयोगी है ।
      • आंवला क्षतिग्रस्त उत्तकों की मरम्मत में उपयोगी है ।
      • आंवला समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकता है ।
      https://www.amazon.in/dp/B071ZGDDP8/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_yzd0EbWAXEY9Q